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छत्तीसगढ़

बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों में 29 दिनो से नही हुआ कोई मुठभेड़, वर्षों बाद गोलियों की आवाज थमी

जगदलपुर। बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित इलाकों में कई वर्षों के बाद गोलियों की आवाज थम गई है । बस्तर में पिछले दो दशकों से चले आ रहे नक्सल संघर्ष में यह दौर निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। सरकार ने भले ही नक्सलियों के विरूद्ध औपचारिक रूप से युद्धविराम की घोषणा नहीं की हो, लेकिन लगातार चल रहे मुठभेड़ों के बीच यह पहली बार है, जब पिछले 29 दिनो से कोई मुठभेड़ नही हुआ है, सूत्र बता रहे हैं कि सरकार ने नक्सलियों के लिए एक टाइम लिमिट तय करके उन्हें आपसी चर्चा के लिए कुछ वक्त दिया है। पुलिस-नक्सली मुठभेड़ों का गढ़ माने जाने वाले बस्तर में अब एक शांति स्थापना के लिए कई तरह से पहल की जा रही है। इसलिए अब नक्सलियों को अपने साथियों के साथ निर्णय लेने में सहूलियत हो रही है, और लगातार बड़ी संख्या में आत्मसमर्पण का दौर जारी है। बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने नक्सलियों के विरूद्ध औपचारिक रूप से युद्धविराम के सवाल को इंकार करते हुए उन्होने कहा कि आपरेशन कभी भी बंद नहीं होता, शासन का पहले से भी निर्णय है कि हथियार छोड़कर नक्सली यदि मुख्य धारा में आना चाहते हैं, तो उनका स्वागत है, लेकिन हथियार लेकर जनता के जान-माल का नुकसान करने का प्रयास यदि कोई करता है, तो उसका जवाब दिया जाएगा।

विदित हो कि विगत 29 दिन पहले 23 सितंबर 2025 को नारायणपुर जिले के महाराष्ट्र सीमा क्षेत्र में फरसबेड़ा और तोयमेटा के जंगल में मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 2.16 करोड़ रुपये के ईनामी केंद्रीय समिति सदस्य राजू दादा उर्फ कट्टा रामचंद्र रेड्डी उर्फ गुड़सा उसेंडी उर्फ विजय और कोसा दादा उर्फ कादरी सत्यनारायण रेड्डी उर्फ गोपन्ना उर्फ बुचन्ना को ढेर कर दिया था। अब गोलियों की आवाज थम जाने से बस्तर संभाग में इसी खामोशी के बीच हथियार बंद नक्सलियों का बड़ी संख्या में हथियार के साथ आत्मसमर्पण का रिकॉर्ड बन रहे हैं ।

नक्सल संगठन के भीतर वैचारिक मतभेद, संसाधनों की कमी और लगातार जारी सुरक्षा बलों के दबाव ने नक्सल संगठन की पकड़ कमजोर कर दी है। वहीं सरकार की नई रणनीति ऑपरेशन से ज्यादा संवाद अब असर दिखाने लगा है। पुलिस-नक्सल मुठभेड़ों का गढ़ माने जाने वाले बस्तर में अब शांति स्थापना के लिए कई तरह से पहल की जा रही है। नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिए सरकार अघोषित सेफ कॉरिडोर दे रही है। गृहमंत्री विजय शर्मा ने इसी महीने की 1 तारीख को कहा था, कि हम आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियो को सेफ कॉरिडोर देंगे, किसी को कोई खतरा नहीं है, बेखौफ होकर वापस आएं। गृहमंत्री के 20 दिन पुराने बयान के मायने अब स्पष्ट हो रहे है। साथ ही सरकार ने पहले स्पष्ट किया था, कि वह किसी तरह के हिंसा को बर्दाश्त नहीं करेगी, लेकिन जमीनी हालात बता रहे हैं कि अब सब कुछ पहले जैसा नहीं है। पहले 20 महीने में जहां रेकॉर्ड मुठभेड़ हुए। नक्सलियों के सुप्रीम लीडर बसव राजू को भी उसी दौर में मारा गया। अब नई परिस्थिति में भूपति उर्फ सोनू जैसे नंबर 2 कैडर के बड़े नक्सली ने आत्मसमर्पण कर दिया है। वहीं नक्सलियों के केंद्रीय कमेटी सदस्य रूपेश सहित बस्तर में 210 नक्सलियों का आत्मसमर्पण भी इसी बड़े बदलाव का परिणाम है।

बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने कहा कि नक्सलियों के लिए कोई सेफ कॉरिडोर की घोषणा नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि विगत दिनों नक्सलियों के केंद्रीय कमेटी के सदस्य रूपेश सहित बस्तर में 210 नक्सलियों ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया और हिंसा का मार्ग छोड़कर मुख्य धारा में लौटे हैं, सरकार ने उनका स्वागत किया और पुर्नवास की सुविधा प्रदान कर रही है। बस्तर संभाग में बचे हुए सक्रिय नक्सलियों से उन्होंने अपील करते हुए कहा कि अभी भी वक्त है, नक्सली मुख्य धारा में लौटते हैं, तो अच्छा होगा अन्यथा उनको गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।

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