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छत्तीसगढ़

भटगांव में 9 दिनों तक होती है माँ काली की विशेष पूजा, जानें मूर्ति स्थापना के पीछे का रहस्य…

बिलाईगढ़. बिलाईगढ़ क्षेत्र के नगर पंचायत भटगांव में माँ काली की भक्ति का सिलसिला लगातार 35 वर्षों से जारी है। इस वर्ष माँ काली की पूजा-अर्चना का यह 36वाँ वर्ष है। विशेष बात यह है कि हर वर्ष कार्तिक अमावस्या के दिन ही माँ काली की मूर्ति की स्थापना की जाती है और पूजा विधिवत संपन्न होती है।

नौ दिनों तक चलने वाले इस धार्मिक आयोजन में दूर-दूर से जसगीत पार्टियाँ और झाँकी दल पहुँचते हैं और माँ काली की आराधना में भक्ति-भाव से जगराता करते हैं। यहाँ न केवल माँ काली की भक्ति झलकती है, बल्कि अन्य देवी-देवताओं की पौराणिक कथाओं पर आधारित झाँकियाँ भी आकर्षण का केंद्र होती हैं।

भटगांव के मानस चौक में माँ काली की मूर्ति स्थापना के पीछे की कहानी भी श्रद्धा और आस्था से भरी हुई है। बताया जाता है कि मोहल्ले के कुछ लोग वर्षों पहले कोलकाता गए थे, जहाँ उन्होंने माँ काली की भव्य पूजा-अर्चना और वहाँ के भक्तों की गहरी आस्था को देखा। उसी भक्ति से प्रेरित होकर उन्होंने अपने नगर भटगांव में माँ काली की स्थापना का संकल्प लिया।

इसके बाद कोलकाता से एक मूर्तिकार को आमंत्रित किया गया, जिसने माँ काली की भव्य प्रतिमा तैयार की। दीपावली से एक दिन पहले, कार्तिक अमावस्या के दिन, विधिवत पूजा के साथ माँ काली की मूर्ति की स्थापना की गई — और तभी से यह परंपरा निरंतर जारी है।

आज भी भटगांव के मानस चौक में माँ काली की पूजा के दौरान वही श्रद्धा, वही भक्ति और वही उत्साह देखने को मिलता है, जिसने इस परंपरा को 36 वर्षों से जीवित रखा है।

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